Tuesday, June 30, 2020

भक्ति ना करने से हानि का विवरण

यह दम टूटै पिण्डा फूटै , हो लेखा दरगाह माही ।                  उस दरगाह में मार पड़ेगी , जम पकड़ेंगे बांही ।।                 

नर - नारायण देहि पाय कर , फेर चौरासी जांही ।                उस दिन की मोहे डरनी लागे , लज्जा रह के नाही ।।            

जा सतगुरू की मैं बलिहारी , जो जन्म मरण मिटाहीं ।        कुल परिवार तेरा कुटम्ब कबीला , मसलित एक ठहराहीं l

बाँध पीजरी आगै धर लिया , मरघट कूँ ले जाहीं ।।              अग्नि लगा दिया जब लम्बा , फूंक दिया उस ठाहीं ।            पुराण उठा फिर पण्डित आए , पीछे गरूड पढाहींl l



भावार्थ : -
             यह दम अर्थात् श्वांस जिस दिन समाप्त हो जाएंगे ।   उस दिन यह शरीर  रूपी  पिण्ड छूट जाएगा ।  फिर     परमात्मा के दरबार में पाप - पुण्यों का हिसाव होगा ।

भक्ति न करने वाले या शास्त्रविरूद्ध भक्ति करने वाले को यम के दूत भुजा पकड़कर ले जाएंगे , चाहे कोई किसी देश का राजा भी क्यों न हो , उसकी पिटाई की जाएगी । सन्त गरीबदास को परमेश्वर कबीर जी मिले थे ।

उनकी आत्मा को ऊपर लेकर गए थे । सर्व ब्रह्माण्डों को दिखाकर सम्पूर्ण आध्यात्म ज्ञान समझाकर वापिस शरीर में छोड़ा था । सन्त गरीब दास जी आँखों देखा हाल व्यान किया कर रहे हैं कि : - हे मानव ! आपको नर शरीर मिला है जो नारायण अर्थात् परमात्मा . के शरीर जैसा अर्थात् उसी का स्वरूप है ।


अन्य प्राणियों को यह सुन्दर शरीर नहीं मिला । इसके मिलने के पश्चात् प्राणी को आजीवन भगवान की भक्ति करनी चाहिए।

ऐसा परमात्मा स्वरूप शरीर प्राप्त करके सत्य भक्ति न करने के कारण . फिर चौरासी लाख वाले चक्र में जा रहा है , धिक्कार है तेरे मानव जीवन को ! मुझे तो उस दिन की चिन्ता बनी है , डर लगता है कि कहीं भक्ति कम बने और उस परमात्मा के दरबार में पता नहीं इज्जत रहेगी या नहीं । मैं तो भक्ति करते - करते भी डरता हूँ कि कहीं भक्ति कम न रह जाए ।
आप तो भक्ति ही नहीं करते । यदि करते हो तो शास्त्रविरूद्ध कर रहे हो । तुम्हारा तो बुरा हाल होगा और मैं तो राय देता हूँ कि ऐसा सतगुरू चुनो जो जन्म - मरण के दीर्घ रोग को मिटा दे , समाप्त कर दे ।

 जो सत्य भक्ति नहीं करते , उनका क्या हाल होता है मृत्यु के पश्चात् । आस - पास के कुल के लोग इकट्ठे हो जाते हैं ।

फिर सबकी एक ही मसलति अर्थात् राय बनती है कि इसको उठाओ । ( उठाकर शमशान घाट पर ले जाकर फूंक देते हैं , लाठी या जैली की खोद ( ठोकर ) मार - मारकर छाती तोड़ते हैं ।
 सम्पूर्ण शरीर शास्त्रविधि त्यागकर मनमाना आचरण कराने और करने वाले उस संसार से चले को जला देते हैं । जो कुछ भी जेब में होता है , उसको निकाल लेते हैं ।

फिर गए जीव के कल्याण के लिए गुरू गरूड पुराण का पाठ करते हैं । ) . तत्वज्ञान ( सूक्ष्मवेद ) में कहा है कि अपना मानव जीवन पूरा करके वह जीय चला गया । परमात्मा के दरबार में उसका हिसाव होगा ।
              

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