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Wednesday, June 24, 2020
राधा स्वामी तथा डेरा सच्चा सौदा सिरसा पंथा के गुरुओं को मोक्ष प्राप्ति नहीं हुई sant rampal ji maharaj
राधा स्वामी तथा डेरा सच्चा सौदा सिरसा पंथ के गुरूओं को मोक्ष प्राप्ति नहीं हुई । " पुस्तक “ सद्गुरू के परमार्थी करिश्मों के वृत्तांत " पृष्ठ 30 पर श्री खेमामल जी ( बेपरवाह मस्ताना जी ) ने कहा " श्री सावन सिंह जी ( मेरे गुरू जी ) ने मेरे शरीर में ( सन् 1948 से 1960 तक ) 12 वर्ष ( प्रेत की तरह ) प्रवेश करके काम किया है । अप्रैल 1960 को दिल्ली में उसी समय संगत को सम्बोधित करते हुए श्री खेमामल जी ( बेपरवाह मस्ताना जी ) ने आगे कहा कि मैं श्री सतनाम सिंह ( जो उनके पश्चात् डेरा सच्चा सौदा सिरसा की गद्दी पर विराजमान हुए ) के शरीर ( बॉडी ) में ( प्रेत की तरह ) प्रवेश करके नाम दिया विवेचन : - श्री सावन सिंह जी ने श्री खेमामल जी ( बेपरवाह मस्ताना जी ) को नाम दान करने का आदेश नहीं दिया था । यह आप जी को पूर्वोक्त प्रकरण में स्पष्ट कर दिया है । श्री खेमामल जी आगे किसी को भी नाम दान की आज्ञा करते रहो । उसका कोई लाभ नहीं । विशेष बात यह है कि यह सच्चा सौदा पंथ उर्फ " धन - धन सतगुरू तेरा ही आसरा ' ' पंथ श्री शिवदयाल सिंह ( राधास्वामी आगरा वाले ) की शाखा है । श्री शिवदयाल सिंह स्वयं प्रेत बन कर अपनी शिष्या " बुक्की ' में प्रवेश करके शंका समाधान किया करते थे । कृपया पढ़ें फोटोकापी पुस्तक " जीवन चरित्र स्वामी जी महाराज " जिसके लेखक हैं श्री प्रताप सिंह सेठ ( जो श्री शिवदयाल सिंह जी के छोटे भाई थे ) श्रीमद्भगवत् गीता अध्याय 16 श्लोक 23-24 में लिखा है कि " जो शास्त्र विधि अनुसार साधना नहीं करते , जो मनमाना आचरण करते हैं उनको किसी प्रकार का भी लाभ प्राप्त नहीं होता । इसी के परिणामस्वरूप इस परम्परा में सर्व भूत बनते चले आ रहे हैं । श्री खेमामल जी स्वयं स्वीकार कर रहे हैं कि मेरे शरीर में मेरे गुरू श्री सावन सिंह जी प्रवेश हुए और मैं सतनाम सिंह जी के शरीर में प्रवेश होकर नाम - शब्द दिया करूँगा । डेरा सच्चा सौदा सिरसा प्रकाशित पुस्तक “ सतगुरु के परमार्थी करिश्मों के वृतान्त ( पहला भाग ) पृष्ठ - 56 पर लिखा है कि श्री शाहमस्ताना जी ( जो इंजैक्शन रियेक्शन से मृत्यु को प्राप्त हुआ था । प्रमाण पृष्ठ 31 पर ) ही श्री गुरमीत सिंह जी के रूप में जन्में हैं । जो वर्तमान में डेरा सच्चा सौदा सिरसा के गद्दीनसीन हैं ।विचार करें : - श्री शाहमस्ताना जी का भी पुनर्जन्म हुआ है तो मोक्ष नहीं हुआ यह कहें कि हंसों को तारने के लिए आए है । वह भी उचित नहीं । क्योंकि इनकी साधना शास्त्रविरुद्ध है तथा श्रीमद्भगवत गीता अध्याय 15 श्लोक में प्रमाण है कि तत्वदी संत से ज्ञान प्राप्त करके सत्य साधना करने शाहमस्ताना जी का मोक्ष नहीं हुआ । हो सकता है उस पुण्यात्मा की पश्चात् फिर लौटकर कभी संसार में नहीं आते । इससे सिद्ध हुआ कि श्री वाले साधक परमेश्वर के उस परम धाम को प्राप्त हो जाते है , जहा जाने के भक्ति कमाई बची हो उसको अब राज सुख भाग कर नष्ट कर जाएगा । भक्तों हरि आये हरियाणे नूं 72 को तारने की बजाय उनका जीवन नाश कर जायेंगे । डेरे की स्थापना 2 अप्रैल 1949 को श्री खेमामल जी ने की । श्री खेमामल जी ( डेरा सच्चा सौदा के संस्थापक ) की मृत्यु सन् 1960 में ( ग्यारह वर्ष पश्चात् ) इंजैक्शन रियैक्शन से हुई । प्रमाण पुस्तक “ सतगुरु के परमार्थी करिश्मों का वृतांत " ( भाग - पहला ) पृष्ठ 31-32 पर । उसके दो शिष्य गद्दी के दावेदार थे । 1. श्री सतनाम सिंह जी तथा 2. मनेजर साहब । संगत ने कई दिन तक मिटिंग करके श्री सतनाम सिंह जी को डेरा सच्चा सौदा सिरसा की गद्दी पर विराजमान कर दिया । मनेजर साहेब ने क्षुब्ध होकर गाँव - जगमाल वाली में स्वयं ही डेरा बनाकर नाम दान प्रारम्भ कर दिया । पाठको ! यह राधास्वामी पंथ , डेरा सच्चा सौदा सिरसा तथा सच्चा सौदा जगमाल वाली , गंगवा गांव में भी श्री खेमामल जी के बागी शिष्य छ : सो मस्ताना ने डेरा बना रखा हैं तथा जय गुरूदेव पंथ मथुरा वाला तथा श्री तारा चन्द जी का दिनौंद गाँव वाला राधास्वामी डेरा तथा डेरा बाबा जयमल सिंह व्यास वाला तथा कृपाल सिंह व ठाकुर सिंह वाला राधास्वामी पंथ सबका सब सत्य मार्ग से भटके हैं । हम सर्व से प्रार्थना करते हैं कि आप पुनः विचार करें । श्रद्धालुओं ! काल का फैलाया जाल है । इस से बचों तथा सन्त रामपाल जी महाराज के पास आकर नाम दान लो तथा अपना कल्याण कराओं । राधास्वामी पंथ , जयगुरूदेव पंथ तथा सच्चा सौदा सिरसा व जगमाल वाली पंथों में श्री शिवदयाल सिंह के विचारों को आधार बना कर सत्संग सुनाया जाता हैं । श्री शिवदयाल सिंह जी इन्हीं पांच नामों ( रंरकार , औंकार , ज्योति निरंजन , सोहं तथा सत्यनाम ) का जाप करते थे । वे मोक्ष प्राप्त नहीं कर सके और प्रेत योनी को प्राप्त होकर अपनी शिष्या बुकी में प्रवेश होकर अपने शिष्यों की शंका का समाधान करते थे । जिस पंथ का प्रर्वतक ही अधोगति को प्राप्त हुआ हो तो अनुयाईयों क्या बनेगा ? सीधा सा उत्तर है , वही जो राधास्वामी पंथ के मुखिया श्री शिवदयाल सिंह राधास्वामी का हुआ । देखें फोटो कापी “ जीवन चरित्र स्वामी जी महाराज " के पृष्ठ 78 से 81 की । " यह उपरोक्त जन्म पत्री राधास्वामी पंथ तथा उसकी शाखाओं की है : समझदार को संकेत ही बहुत होता है । 2020/06/24 11:00
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ReplyDeleteSo sweet
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